
लकड़ी काटने के लिए भी कुल्हाड़ी में रोज धार करनी होती है. उसी तरह अपनी विद्या को भी रोज अभ्यास देने की जरूरत होती है. जिन लोगों को काम मिल जाता है, वे जीवन काटने लगते हैं. एक वक्त ऐसा भी आता है जब वे दुखी रहने लगते है कि वे आगे नहीं बढ़ रहें. इस बात को संजय सिन्हा समझा रहे हैं एक कहानी के जरिये.
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